आईआईटी पटना ऐसा एप्लीकेशन बना रहा जो कोरोना के मरीजों की करेगा पहचान, ब्लूटूथ तकनीक पर होगा आधारित

कोविड -19 महामारी को रोकने और इसके बचाव के लिए देशभर के आईआईटी ने ताकत झाेंक दी है। आईआईटी पटना में अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट कुल 7 प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। एक ऐसा मोबाइल एप्लीकेशन डेवलप किया जा रहा है जो यह बताएगा कि कौन कोविड-19 का मरीज है या ऐसे मरीजों के संपर्क में आया है।


यह एप्लीकेशन ब्लूटूथ तकनीक पर आधारित होगा, जो किसी के संपर्क में आने पर कोविड-19 संबंधी जानकारी उपलब्ध करा देगा। सरकार से उपलब्ध डाटा के आधार पर भविष्य में इसकी तकनीक और बेहतर बनाई जाएगी। यह लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों के लिए उपयोगी होगा। साथ ही रोग के स्प्रेडिंग बिहेवियर को जानने के लिए मोबाइल फोन डाटा के उपयोग पर अध्ययन किया जा रहा है।


सीटी स्कैन इमेज आधारित ऑटोमेटिक डाइग्नोस्टिक सिस्टम
रोग और इसके लक्षणों को समझने की कोशिश की जा रही है क्योंकि स्थिति प्रारंभिक अवस्था में है। कई मामलों में, यह देखा गया है कि रोगी को पहले लक्षण के रूप में बुखार, सर्दी और खांसी का अनुभव होता है। रोग बढ़ने पर, पहला संकेत सांस लेने में कठिनाई है। फेफड़ों के कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन ने कोविड-19 रोगियों में असामान्यता दिखाई है। मरीजों में चेस्ट की असामान्य सीटी स्कैन छवियां दिख रही हैं। अनुसंधान कार्य का उद्देश्य छाती की सीटी स्कैन छवियों में विसंगति का पता लगाना और अबनॉर्मिलिटी की पहचान के लिए एक ऑटोमेटक एल्गोरिथ्म विकसित करना है। आईआईटी में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंजीनियरिंग विभाग के एसोसीएट प्रोफेसर डॉ. महेश कुमार एच कालेकर इसपर रिसर्च कर रहे हैं।


इन पर चल रहा रिसर्च


पर्सनल प्रोटेक्टिव केयर इक्विपमेंट- 33, टेस्टिंग किट -17, सैनिटाइजेशन - 20, मेडिकल इक्विपमेंट/रोबोट्स -28, सर्विलांस -8, ट्रीटमेंट - फार्माकोलोजॉकिल, नॉन फार्माकोलोजॉकिल -22, डाटा एनालिटिक्स -19


निदेशक बोले- एम्स के साथ भी हमारा एमओयू
 आईआईटी पटना कोरोना से संबंधित लड़ाई में योगदान दे रहा है। यह आगे भी जारी रखेगा। संस्थान में आपदा सूचना प्रणाली पर काम चल रहा है। एम्स के साथ भी हमारा एमओयू हुआ है अब इसमें कोविड -19 भी शामिल होगा। -प्रो. पुष्पक भट्टाचार्य, डायरेक्टर आईआईटी पटना